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पांच दिन तक मानस सम्मेलन में प्रसिद्ध मानस मर्मज्ञ के मुखारविंद से बही गंगा, संतो का सानिध्य पाने हजारों की संख्या में पहुंचे श्रोता

पांच दिन तक मानस सम्मेलन में प्रसिद्ध मानस मर्मज्ञ के मुखारविंद से बही गंगा
संतो का सानिध्य पाने हजारों की संख्या में पहुंचे श्रोता 
 धार से-  ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
धार।अखिल भारतीय रामचरितमानस पर आधारित पांच दिवसीय मानस सम्मेलन का भव्य आयोजन प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी गरिमामय वातावरण में सम्पन हुआ । चतुर्भुज श्री राम मंदिर मांडव के श्री श्री 1008 महंत राम नारायण दास महाराज की 27 वीं पुण्य स्मृति में अखिल भारतीय मानस मंच पर रामचरितमानस सम्मेलन का आयोजन  महामंडलेश्वर डा. नृसिंह दास महाराज के सानिध्य और निर्देशन में सम्पन हुआ।
अखिल भारतीय श्री मानस सम्मेलन महोत्सव देदला धाम में विशेष रूप से देशभर से पधारे अनेक महामंडलेश्वर और संत समाज ने भी अपने अपने विचार रखे और इस भव्य और गरिमामय कार्यक्रम की प्रशंसा की ओर ऐसे सफल आयोजन के लिए महामंडलेश्वर डा. नृसिंह दास महाराज की सराहना साधुवाद दिया ।
कार्यक्रम के अंतिम दिन गुरुवार को सकेतवासी महंत राम नारायणदास जी को मन्त्रोच्चार के साथ पुष्पांजलि दी गई।
इस पांच दिवसीय धार्मिक आयोजन के अंतिम दिन मानस आलोक श्री प. राघव किंकर जी महाराज कानपुर उत्तर प्रदेश ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों के साथ हमारे रिश्ते कैसे रहेंगे, ये हमारा स्वभाव
व्यवहार तय करता है। यदि आपको लगता है कि आपका चेहरा सुंदर नहीं है तो कोई दिक्कत नहीं, अपने स्वभाव को सुंदर बना लो। आपका स्वभाव सुंदर बन गया तो आप लोगों के दिलों में राज करोगे आदमी का शरीर एक दिन मिट्टी में मिल जाता है। परंतु उसका सुंदर स्वभाव लोगो के दिल में हमेशा रहता है।
मानस मर्मज्ञ वक्ता श्री 1008 महंत श्री राममोहनदास जी महाराज रामायणी कुल्लू हिमाचल प्रदेश ने भगवान हनुमान जी के लंका दहन प्रसंग की बहुत ही सुंदर व्याख्या कर बताया कि हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या के दाता है, चतुर और प्रभु श्री राम के परम सेवक हैं। आगे बताया कि साधारण इन्सान परमात्मा को अपने से अलग समझता है। परन्तु आत्मा और परमात्मा अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही परम तत्व के दो नाम हैं।
अंतर सिर्फ इतना है परमात्मा, आत्मा का परम रूप है। आत्मा के स्वरूप को समझना आत्मज्ञान है। 
मानस माधुरी सुश्री जयंती किशोरी जी शर्मा राष्ट्रीय धर्म प्राचार्य का श्री वृंदावन धाम ने बताया कि केवल तीन श्वांस सुख की जिंदगी है। पहली श्वांस जन्म की दूसरी श्वांस जवानी की और तीसरी बुढ़ापे की। इसके बाद जीवन वही खत्म हो जाता है। अपने दिल को बड़ा रखें, अपने दिमाग को हमेशा ठंडा रखें। जिसके पास इन सद् गुणों की दौलत है वह दुनिया में उससे ज्यादा
सुखी उससे बड़ा धनवान कोई नहीं। 

अखिल भारतीय मानस सम्मेलन अंतिम दिवस कार्यक्रम के मार्गदर्शक और संयोजक
महामंडलेश्वर डॉ. नरसिंह दास महाराज ने
मानस सम्मेलन में देशभर से आए महामंडलेश्वर संत समाज और भक्तों का अभिनंदन किया और श्रताओ को अपने आशिक वचन प्रदान करते हुए कहा कि  साकेत वासी महाराज जी श्री श्री 1008 महंत राम नारायण दास महाराज का देदला धाम से विशेष लगाव रहा है क्यों की यह भूमि धर्म और अध्यात्म भूमि हे इसी लिए महाराज जी की प्रेरणा से इसी स्थान पर का कष्टभंजन हनुमान जी का भव्य एवं दिव्या मंदिर के आधारशिला रखी गई है । कष्टभंजन कष्टभंजन धाम के निर्माण में सहयोग करने वाले समाजसेवी लोगो का सम्मान कर प्रशंसा पत्र दिया गया ।
पांच दिवसीय श्री मानस सम्मेलन के समापन पर विशाल भंडारा भी रखा गया था जिसमें हजारों की संख्या में पधारे हुए श्रोतागण और भक्तों ने प्रसादी ग्रहण कर अपने आप को धन्य महसूस किया
वही रात्रि में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन भी होगा । उक्त जानकारी मानस सम्मेलन मीडिया प्रभारी दीपक सिंह रघुवंशी ने दी ।

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