धार, इंदौर में जैविक कपास के प्रमाणिकरण मामले में दिग्विजय सिंह द्वारा प्रधानमंत्री श्री मोदी को अनियमित्ता की शिकायत पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिया जवाब
नई दिल्ली। पूर्व मख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर धार, इंदौर में जैविक कपास के प्रमाणिकरण मामले में अनियमित्ता व भ्रष्टाचार की शिकायत पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिया जवाब दिया है जिसमें कहा गया है कि जैविक कपास की प्रमाणीकरण की जुलाई अगस्त में जांच की गई। राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम ( एनपीओपी ) विनियमन के प्रमाणन प्रक्रिया मे गंभीर उल्लंघन के आधार पर एक प्रमाणन निकाय को एक वर्ष की अवधि के लिए निलंबितकर दिया गया है और कुछ अन्य प्रमाणन निकाय पर कार्रवाई जारी है।उक्त उत्पादक समूहका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। साथ ही इंदौर पुलिस आयुक्त एवं धार पुलिस अधीक्षक से मामले में संज्ञान लेते हुए कानून के तहत प्रकरण दर्ज करने का अनुरोध किया है।
दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री को यह लिखा था पत्र -
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और जैविक कपास के उत्पादन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।दिग्विजन ने कहा कि, मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाए गए है, और इन समूहों में ऐसे गांवों के किसानों के नाम भी शामिल किए गए है, जो ऑर्गेनिक कॉटन और साधारण बी.टी. कॉटन का उत्पादन नहीं करते हैं। भारत दुनिया में जैविक कपास (Organic Cotton) का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। सरकारी ऑकड़ों के मुताबिक दुनिया भर के जैविक कपास के उत्पादन में भारत की भागीदारी 66 प्रतिशत है। उसमें भी मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है तथा देश में सबसे ज्यादा जैविक भूमि का प्रमाणीकरण भी मध्यप्रदेश में किया गया है।
जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPOP) के तहत जैविक उत्पादन, प्रणालियों, मानकों और प्रमाणन निकायों के लिए प्रक्रिया (Procedure for accreditation of certification bodies) तय है जिसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ सामंजस्य में तैयार गया है। जैविक उत्पादों के आयात और निर्यात को इन्हीं मानकों के द्वारा विनियमित किया जाता है। इसके लिये NPOP गाइडलाइन तय है।
किसानों द्वारा उत्पादित आर्गेनिक कॉटन का प्रमाणीकरण सरकारी एजेंसी APEDA द्वारा अधिकृत सर्टिफिकेशन बॉडी (CB) द्वारा किया जाता है। देश में ऐसी अनेक सर्टिफिकेशन बॉडीज है जो ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रमाणित करती है। मध्यप्रदेश में कंट्रोल यूनियन नाम की एक सर्टिफिकेशन बॉडी को APEDA द्वारा अधिकृत किया गया है। मेरी जानकारी में यह नहीं है कि इसके अलावा और कितनी सर्टिफिकेशन बॉडीस मध्य प्रदेश और देश में काम कर रही है। ऑर्गेनिक उत्पाद के उत्पादकों के लिये गाइडलाइन के अध्याय 5 के पैरा (5.1), (5.2) एवं (5.3) में आई.सी.एस. (Internal Control System) बनाने का प्रावधान है। इसी के तहत ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के समूह का गठन किया जाता है। इन समूहों में न्यूनतम 25 और अधिकतम 500 किसान हो सकते है।
सरकारी वेबसाइट investindia.gov.in पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत सरकार द्वारा ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसान को प्रति हेक्टेयर तीन वर्षों के लिए रू. 50,000 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 16 नवंबर 2022 को PKVY के तहत, 32,384 क्लस्टर्स, कुल 6.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र और 16.1 लाख किसानों को शामिल किया गया है। वर्ष 2022-23 तक योजना के तहत रू. 1854.01 करोड़ की राशि जारी की गई है।
मुझे यह लिखते हुये खेद है कि मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाये गये है। इन समूहों में ऐसे गॉवों के किसानों के नाम भी शामिल किये गये है जो न तो ऑर्गेनिक कॉटन का और न ही या साधारण बी.टी. कॉटन का उत्पादन करते हैं, और न पहले कभी उन्होंने किया है। धार जिले के भीलकुण्डा और उसके आसपास के गांवों के किसान इसके ज्वलंत उदाहरण है। ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के समूह में इस गॉव और इसके आसपास के अनेक किसानों के नाम फर्जी तरीके से शामिल किये गये है और उन्हें ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादक बताकर उनसे कॉटन क्रय करना, दर्शाया गया है। कंट्रोल यूनियन नाम की सर्टिफिकेशन बॉडी द्वारा बगैर भौतिक सत्यापन के एपिडा और व्यापारियों की मिलीभगत से ऑर्गेनिक उत्पादन के सर्टिफिकेट जारी किये गये है जिसका खुलासा एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा आयुक्त, वाणिज्यिक कर इन्दौर को की गई शिकायत से होता है। इस शिकायत में करोड़ों रूपये की जी.एस.टी. चोरी की बातें भी सामने आई है।
व्यापारियों द्वारा साधारण बीटी कॉटन को बाहर से खरीदकर फर्जी तरीके से किसानों द्वारा उत्पादित ऑर्गेनिक कॉटन बताकर कंट्रोल यूनियन नामक सर्टिफिकेशन बॉडी से सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा रहा है।
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नई दिल्ली