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मानव जीवन के 16 संस्कारों में से एक उपनयन संस्कार भी है- श्री योगेश जी महाराज

मानव जीवन के 16 संस्कारों में से एक उपनयन संस्कार भी है- श्री योगेश जी महाराज


✍️- ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
147 ब्राह्मण बटुको ने गुरुदेव के चरणों में शीश झुकाकर आशीष मांगा लिया गुरु मंत्र
धार। श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज श्री अंबिका आश्रम बालीपुर धाम में यज्ञोपवीत का आयोजन श्रीयोगेश जी महाराज और सुधाकर जी महाराज के सान्निध्य मे संपन्न हुआ। जिसमें 147 ब्राह्मण बटुको का उपनयन संस्कार निःशुल्क हुआ ।इंदौर, बड़वानी ,रतलाम, झाबुआ, धार ,खरगोन ,खंडवा से मय परिवारो के साथ सहभागिता की । उपनयन संस्कार सुबह 8:00 बजे से विधि विधान से प्रारंभ हुआ जो शाम 5:00 बजे तक संपन्न हुआ। सभी को दैनिक संध्या पुस्तक,माला देकर विदाई दी ।

उक्त जानकारी सतगुरु सेवा समिति के जगदीश पाटीदार ने देते हुए बताया कि आचार्य बंटी महाराज ,रविन्द्र शुक्ला, दुर्गाशंकर तारे ,अरूण भार्गव के नेतृत्व में वैदिक मंत्र पद्धति से संपन्न करवाया। बटुको को गुरु मंत्र दिया गया। उपनयन संस्कार की परंपरा श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज ( बाबाजी)द्वारा प्रारंभ करवायी थी। इसी परंपरा को संरक्षित एवम जीवित रखते हुए श्रीयोगेश जी महाराज एवम सुधाकर जी महाराज करवा रहे हैं । यज्ञोपवीत की परंपरा विगत 95 वर्षों से हो रही है। आश्रम में बटुक परिवारों,मामा पक्ष को भी रहना, खाना ,पीना ,भोजन की व्यवस्था निःशुल्क रहती है।मानव जीवन के 16 संस्कारों में से उपनयन संस्कार महत्वपूर्ण होता है। जन्म- धारण करने के साथ उसके नियम का भी पालन करना जरूरी होता है। जनेऊ धारण करने के साथ इसके नियम का पालन भी आवश्यक है। जनेऊ पालन का महत्व बताते हुए श्री योगेश जी महाराज कहते हैं कि ब्रह्मतत्व की सिद्धि के लिए जनेऊ धारण करना अति आवश्यक है,। जनेऊ धारण कार्यक्रम में लोगों को हजारों रुपए खर्च करना पड़ते हैं ,लेकिन आश्रम में यह व्यवस्था बाबाजी के समय से निःशुल्क रहती है।प्रतिवर्ष चार बार जनेऊ संस्कार का कार्यक्रम होता है।
 यज्ञो पवित्रम परम पवित्रम् के तहत बटुक ब्राह्मणों को कानों में गुरु मंत्र देकर जनेऊ धारण करवाते हैं ।द्विज को गायत्री मंत्र से वेदारंभ करवाया जाता है ।सनातन हिंदू धर्म के 16 संस्कारो मे से एक उपनयन संस्कार भी है ।उपनयन संस्कार बालक की आयु तथा वेदपाठ का अधिकारी बनने के लिए जनेऊ संस्कार अत्यंत आवश्यक है जो धारण करने से होता है ।जनेऊ की लंबाई 96 अंगूल की होती है ।जनेऊ से पवित्रता का एहसास होता है। इस अवसर पर ब्राह्मण महिला पुरुषो संख्या लगभग 7000 के लगभग थी । 

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