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मनुष्य यदि अपने मन पर बुद्धि ,चित्त और अहंकार पर काम को ना बिठाकर श्रीराम को बैठा ले तो उसका जीवन धन्य हो जाता है- पंडित चतुर्वेदी

मनुष्य यदि अपने मन पर बुद्धि ,चित्त और अहंकार पर काम को ना बिठाकर श्रीराम को बैठा ले तो उसका जीवन धन्य हो जाता है- पंडित चतुर्वेदी

श्रीश्री 1008 श्री गजानन जी महाराज जन्मोत्सव

-ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
धार। यज्ञाचार्य, तपोनिषठ,पूजनीय,प्रातःस्मरणीय, परमहंस श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज के 104 वाॅ अवतरण दिवस पर श्री बालीपुर धाम में श्रीराम कथा के साथ में सुंदरकांड एवम भजन बाबाजी के शिष्य श्री योगेश जी महाराज एवम श्री सुधाकर जी महाराज के सानिध्य में संपन्न हो रहे हैं ।
श्री राम कथा के कथावाचक बनारस-काशी से पधारे पंडित चंद्रकांत चतुर्वेदी ने पाँचवे दिवस पर गुरुदेव की जन्म भूमि पर मानस सत्संग में कहा कि मन की भूमि मिथिला, बुद्धि की भूमि अयोध्या, चित्त की भूमि चित्रकूट ,अहंकार की भूमि लंका इन चारों स्थान बैठने के लिए श्री रामचन्द्र जी भगवान को आसन दिया गया। यदि मनुष्य अपने मन पर अपने बुद्धि ,चित्त और अहंकार पर काम को ना बिठाकर श्रीराम को बिठा लिया जाए तो उसका जीवन सुंदर हो जाता है धन्य हो जाता है। मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। दुखी वह प्राणी है जो अपने मन में काम पर बिठाकर रखता है इसलिए संसार में जीने के लिए बाध्य रहता है। पीड़ा ही पीड़ा, सुख की अनुभूति नहीं करता है। इन चारों प्रक्रियाओं का गुजरने के लिए जीव विद्रोह नगरी में प्रवेश करता है।कर्म करे,कर्म से विरत न हो। रामचरितमानस के इस विषय पर सिद्धांत दिया गया है उसके अनुसार सभी स्वीकृत ही भोगते हैं।

शबरी समाज के भक्तों को किया आमंत्रित-
सद्गुरु सेवा समिति के जिला मुख्यालय स्थित मीडिया प्रभारी ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि ग्राम टोंकी, सनमोड, बागसुल ,मोराड, पहाड़सिहपुरा नदीपुरा, टेमरनी, जलखां आदि गांवो में गुरु भक्त रमेश कुशवाहा, जगदीश पाटीदार, महादेव शर्मा ,सुभाष राठौड़ द्वारा शबरी जाति के भक्तो को जन्मोत्सव के भंडारे मे आमंत्रित किया है। गांव की चौपालो पर एवम मन्दिरो मे बैठके की तथा सभी को बाबाजी के कार्य, उद्देश्यों की जानकारी दी।जय गुरुदेव के उद्घोष के साथ बैठके सम्पन्न की तथा जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में भक्तों द्वारा गांव-गांव फेरी निकाली गई।
निरंतर हो रहे हैं पाठ-
श्रीराम कथा महोत्सव ,भजन, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, ब्राह्मणों एवम ब्राह्मणीयो द्वारा गायत्री जाप, दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का पाठ किया जा रहा है। प्रातःकालीन एवम संध्याकालीन पाठ हो रहे हैं। भोजन शाला में प्रतिदिन शंकर महाराज एवं उनकी टीम द्वारा भोजन बनाकर भक्तों को खिला रहे हैं ।

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