लंदन में जो वाग्देवी की प्रतिमा है उसमें कोई संशय नहीं, वह सरस्वती प्रतिमा ही है- पद्मश्री राजपुरोहित
पद्मश्री राजपुरोहित जी का हुआ नागरिक अभिनंदन
✍️- ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
धार। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में श्री भगवती लाल राजपुरोहित को पद्मश्री सम्मान घोषित होने पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसी अवसर पर वार्षिक पत्रिका धारा का विमोचन भी हुआ। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ भगवती लाल राजपुरोहित ने कहा कि लंदन में जो प्रतिमा है वह वाग्देवी की ही प्रतिमा है उसमें कोई संशय नहीं है। साथ यह भी कहा कि उज्जैन एवं धार दोनों को सांस्कृतिक रूप से एक है। इस दौरान उन्होंने धार कॉलेज की पुरानी स्मृतियों को भी याद किया। उन्होंने वाकणकर जी वेंकटचलन एवं डॉ शिवमंगल सुमन जी के सानिध्य में जो सीखा और पाया इसका उल्लेख करते धार के डॉक्टर गजानन शर्मा एवं संपूर्णानंद शास्त्री जीको भी याद किया। इस अवसर पर आपने धार को राजा भोज के अध्ययन का केंद्र बनाने का भी आग्रह किया ताकि रिसर्च विद्यार्थी अध्ययन कर सकें। उक्त आयोजन पीजी कॉलेज धार में जन भागीदारी अध्यक्ष दीपक बिड़कर तथा विक्रम विश्वविद्यालय के कार्य परिषद के सदस्य सचिन दवे एवं पर्यावरण विद् के विशेष मार्गदर्शन हुआ। कार्यक्रम में विशेष अतिथि धार जिला कलेक्टर श्री प्रियंक मिश्रा संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बड़ा ही ऐतिहासिक है क्योंकि धार के लिए यह बहुत ही यादगार पल है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा, क्योंकि हमारे धार के लिए गौरव की बात है कि हमारे जिले के श्री राजपुरोहित जी को पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है। हम आगे कोशिश करेंगे कि धार में जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद का गठन करेंगे साथ ही यहां पर शोधार्थियों के लिए और सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। जिला पुलिस अधीक्षक श्री मनोज कुमार सिंह ने कहा कि पराधीन भारत में जन्म लेकर स्वतंत्र भारत का यह विहंगम दृश्य देखने वाले साहित्यकार मोती की तरह चुने गए और भारत सरकार ने बहुत बड़े सम्मान से सम्मानित किया यह धार के लिए गौरवान्वित करने वाला विषय है।अनमोल रत्न पद्मश्री श्री श्री भगवती लाल राजपुरोहित ने भारत सरकार ने उनके कार्य के लिए आज सम्मानित किया है।
दीपक बिड़कर जन भागीदारी अध्यक्ष ने कहा कि यहां पर एक भोज कक्षा का निर्माण किया जाएगा जिसमें राजा बहुत से संबंधित संदर्भित साहित्य छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
क्यों दिया गया आखिर श्री भगवती लाल. पुरोहित को पद्मश्री -
राजा भोज के धार की धरा पर साहित्य और संस्कृति अनवरत प्रवाहित हो रही है इस धारा को वर्तमान में प्रवाह मय रखने वाले धार की धरा के ज्ञान के प्रकाश पुंज पद्मश्री श्री भगवती लाल पुरोहित का जन्म मध्य प्रदेश के धार जिले के चंदोडिया में 2 नवंबर 1943 को हुआ भारतीय विद्वत परंपरा के अनन्य साधक सर्जक और अनुसंधानता रहते हुए संस्कृत हिंदी प्राचीन इतिहास और लोक साहित्य के साथ-साथ कविता नाटक उपन्यास सहित विभिन्न विधाओं में निरंतर सर्जनात्मक लेखन और शोध से आपकी दिशाएं व्यापक होती गई आपकी रचनाओं में नवीन और प्राचीन का संगम परिलक्षित होता है आप हिंदी संस्कृत तथा प्राचीन इतिहास में एम ए पीएच.डी है आप 10 वर्षों तक विक्रम विक्रमादित्य शोध पीठ उज्जैन के निदेशक और सांदीपनि महाविद्यालय उज्जैन में हिंदी विभाग में आचार्य और अध्यक्ष रहे अपने मालवी संस्कृति और साहित्य पर 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की है एवं 50 से अधिक नाटक लिखे हैं राजा भोज पर आपके द्वारा रचित "राजा भोज" "राजा भोज का रचना विश्व "और "प्रतिभा भोज राजस्य" उल्लेखनीय है आपने एक संस्कृत नाटक "समर्थ विक्रमादित्य" की रचना भी की है एवं आपके रचना रचित नाटक "कालिदास चरितम" का संस्कृत हिंदी में और मालवी में मंचन हुआ है आपको मध्य प्रदेश संस्कृत अकादमी का भोज पुरस्कार मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा अनुदान आयोग द्वारा डॉक्टर राधाकृष्णन सम्मान मध्यप्रदेश साहित्य परिषद का बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार और भारतीय रंगमंच में विद्वता के लिए संगीत नाटक अकादमी मध्य प्रदेश शासन द्वारा अमृत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है 2024 में आपको आपकी साहित्यिक साधन के लिए भारत सरकार के पद्म अलंकरण "पद्मश्री" से सम्मानित किया गया है। जन भागीदारी समिति एवं विज्ञान संकाय अल्युमिनियम संगठन महाराजा भोज शासकीय की स्नातकोत्तर महाविद्यालय धार गोरवान्वित है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्य परिषद विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के सदस्य सचिन दवे ने कहा कि राजा भोज की नगरी धार के नाम से ही ज्ञान का प्रकाश साहित्य सरस्वती पुत्र पद्मश्री श्री भगवती लाल जी राजपुरोहित को सम्मानित करना ही आज के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
पूर्व छात्र परिषद की ओर से अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले छात्र रक्षित चौहान को महाराजा भोज पुरस्कार से सम्मानित किया गया । वहीं छात्रा श्रद्धा रायकवार को वाग्देवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया एवं पांच पांच हजार रूपये की राशि भी प्रदान की गई।
इस अवसर पर धार पत्रिका का विमोचन किया गया।
पत्रिका के बारे में जानकारी डॉ आशा खान ने दी। सम्मान पत्र का वचन श्री ओझा जी द्वारा किया गया.सम्मान करते समय पूरे हाल के श्रोता अपने स्थान पर खड़े होकर तालियां बजाते हुए सम्मान किया।इस अवसर पर नागरिक सम्मान आयोजित हुआ भोज फाउंडेशन के संयोजक श्री अंशुल शर्मा, तरुण गावड़े द्वारा सम्मान किया गया जिसमें सर्व ब्राह्मण समाज के धार जिला कार्यकारी अध्यक्ष धर्मेंद्र जोशी एवं युवा अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा, माली समाज के पूर्व अध्यक्ष नंदू टाक,जैन समाज से श्री पिंकेश जैन,बोहरा समाज से श्री सहाबुद्दीन दाऊदी, मेडिकल एसोसिएशन से श्री उमेश सोनी, गणमान्य नागरिकों में श्री आशीष बसु, श्री कालीचरण सोनवानिया एवं निलेश शर्मा द्वारा स्वागत किया गया,इस अवसर पर एल्यूमिनी सदस्यों ने पद्मश्री का सम्मान किया,कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर गजेंद्र उज्जैनकर एवं डॉक्टर आयशा खान ने किया,आभार प्राचार्य डॉक्टर एस एस बघेल के द्वारा आभार व्यक्त किया गया
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