सरोकार -
मुख्यमंत्री की नाराजगी के बावजूद स्वास्थ्य विभाग अभी भी गंभीर नहीं स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों की हुई भरमार
लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध हो कार्रवाई
*डॉ. चन्दर सोनाने*
हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पड़े 30 हजार पदों की भर्ती पर कारगार प्रयास नहीं करने पर एक समीक्षा बैठक में नाराजगी व्यक्त की है। आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री की नाराजगी के बावजूद स्वास्थ्य विभाग अभी भी इस दिशा में गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग में 46 हजार से अधिक पद रिक्त होने की करीब एक साल पहले स्वीकृति होने के बावजूद स्वास्थ्य अमले ने ठोस कार्रवाई नहीं की। मजेदार बात यह है कि हमेशा वित्तीय स्वीकृति में अडंगा लगाने वाले वित्त विभाग ने भी अपनी स्वीकृति दे दी थी। इसके बावजूद विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग ( पीएससी) और कर्मचारी चयन मंडल ( ईएसबी ) को रिक्त पदों की पूर्ति करने के प्रस्ताव ही नहीं भेजे गए।
सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न पदों के लिए एक वर्ष पूर्व 46 हजार 491 पदों की मंजूरी दे दी गई थी। इनमें से करीब 17 हजार आउटसोर्स कर्मी है। इस प्रकार कुल 30 हजार पदों पर पीएससी और ईएसबी को रिक्त पदों की पूर्ति करने हेतु प्रस्ताव भेजे जाने है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा उक्त रिक्तियों में से सिर्फ 7 हजार की भर्ती की ही कार्यवाही की गई है। इनमें से डॉक्टरों की भर्ती के लिए 600 लोग शॉर्ट लिस्ट भी हुए, किन्तु आज तक उनके इंटरव्यू तक नहीं हो पाए। नर्सिंग और ऐसे ही अन्य रिक्त पदों के बारे में किसी ने कोई चिंता ही नहीं की।
स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों की जो रिक्तियाँ है, वे आँखे खोलने वाली है। जैसे मेडिकल ऑफिसर की 518, स्पेशलिस्ट की 854, नर्सिंग ऑफिसर की 4,423, लैब टेक्निशियन की 894, फिजियोथैरेपिस्ट की 85, ओटी टैक्निशियन की 626, काउंसलर की 51, हॉस्पिटल मैनेजमेंट के लिए 33, हॉस्पिटल सुप्रीटेंडेंट की 45 पदों की स्वीकृति शासन से विभाग को प्राप्त है। इसी प्रकार ग्रुप डी वर्कर के 16,985 एएनएम के 9,366, एलएचवी के 165, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के 10,179, कम्यूटर ऑपरेटर के 336, हॉस्पिटल असिस्टेंड के 114 और वैक्सीन लॉजिस्टिक असिस्टेंड के लिए 1,705 पद रिक्त है।
मुख्यमंत्री द्वारा ली गई स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और उपमुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला और मुख्य सचिव अनुराग जैन भी मौजूद थे। एक आश्चर्यजनक बात यह भी सामने आई है कि स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकृत पदों पर एक साल से अधिक समय पर कोई भर्ती नहीं की जाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्या बताई थी। तब मुख्यमंत्री द्वारा उक्त बैठक बुलाई गई। इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री संदीप यादव और मिशन संचालक सुश्री सलोनी सिडाना भी मौजूद थे।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्वीकृत और रिक्त पदों की भर्ती के बारे में एक साल से भी अधिक समय से पीएससी और ईएसबी को कोई प्रस्ताव नहीं भेजने पर आश्चर्य व्यक्त किया और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की अच्छी क्लास ली।
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों, नर्सों और अन्य पदों पर रिक्त पदों के कारण आमजन को कितनी परेशानी हो रही है, इससे विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कोई लेना-देना नहीं ! गरीब और आमजन अपने और अपने परिवार के सदस्यों के बीमार होने पर सरकारी अस्पताल की ही शरण लेते हैं और वहां भी डॉक्टर और नर्सों के नहीं होने पर कितनी परेशानी का सामना उन्हें करना पड़ता है, ये वे ही जानते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को चाहिए कि वे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के लापरवाह वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करें। इसके साथ ही सभी रिक्त पदों की पूर्ति के लिए समयबद्ध कैलेंडर बनाकर उस पर सख्ती से पालन सुनिश्चित करने की हिदायत दें, ताकि सभी रिक्त पदों पर शीघ्र भर्तियां हो और आमजन को इसका लाभ मिल सके।
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