*सरोकार* -
मोहन की भागवत की सीख के मायन
आलेख ✍️- डॉ. चन्दर सोनाने
नागपुर में संघ कार्यकर्ताओं के विकास वर्ग कार्यक्रम के समापन अवसर पर पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने अनेक महत्वपूर्ण बातें कही। इसमें उन्होंने मणिपुर हिंसा और लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के रवैये पर कई बड़ी बातें कही है। इन बातों में से दो बात अत्यन्त महत्वपूर्ण है। एक तो ये कि उन्होंने कहा कि मणिपुर एक साल से जल रहा है। त्राहि-त्राहि कर रहा है। उस पर ध्यान कौन देगा ? दूसरी महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह भी कही कि हाल ही के लोकसभा चुनाव में दोनों पक्षों ने जैसे एक दूसरे पर हमले किए, इससे दरारें बढ़ेगी।
संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत देश के उन लोगों में एक हैं, जो कम बोलते है और सटीक बोलते हैं। उनकी बातों के कहने के अनेक अर्थ छिपे होते हैं। उसके साथ ही उनकी बातों से यह भी लगता है कि संघ और मोदी सरकार में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वे कुछ नाराज से चल रहे हैं।
संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने सबसे पहले मणिपुर का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल वह शांत रहा। और अब अचानक जो कलह वहाँ पर उपजी या उपजाई गई, उसकी आग में मणिपुर अभी भी जल रहा है। मणिपुर की समस्या पर प्राथमिकता देकर विचार करना जरूरी है। पिछले 14 महिनों के दौरान मणिपुर में हुई हिंसा में 200 से ज्यादा मौतें हुई हैं और 50 हजार सेअधिक लोग राहत शिविर में रहने को अभी भी मजबूर है, उसका दर्द उनकी बातों से साफ झलक रहा था।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। गत वर्ष सोशल मीडिया पर मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद पूरे देश के लोगों ने अपनी-अपनी तीव्र प्रतिक्रियाएँ दी और अपना गुस्सा जाहिर किया। मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। आज भी मणिपुर में दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच हिंसक झड़प दिखाई दे रही है। मणिपुर में 3 मई 2023 से हिंसा की शुरुआत हुई थी। मणिपुर में इस दिन मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच हिंसा शुरू हुई थी।
4 मई को महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में काफी गुस्सा देखा गया। हमले का वीडियो सामने आने तक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा पर कोई भी बयान नहीं दिया था। लेकिन मानसून सत्र के पहले दिन उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इस घटना ने “भारत को शर्मसार कर दिया है“ और “किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता“। किन्तु उसके बाद ऐसा कोई ठोस प्रयास दिखाई नहीं दिया, जिससे लगे कि मणिपुर हिंसा को रोकने के लिए मणिपुर की राज्य सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा कोई सार्थक प्रयास किए गए हैं।
मणिपुर की करीब 14 महीने पुरानी हिंसा शुरू होने के बाद भी कोई आशाजनक परिणाम दिखाई नहीं देने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत का दुख छलका है। उनकी बात से स्पष्ट दिखाई देता है कि वे मणिपुर हिंसा की रोकथाम में केन्द्र शासन के प्रयासों से संतुष्ट नहीं है।
संघ प्रमुख ने हाल ही के लोकसभा चुनाव प्रचार में मर्यादा टूटने का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि चुनाव में जो कुछ हुआ, उस पर विचार करना होगा। देश ने विकास किया है, लेकिन चुनौतियों को भी न भूलें। सहमति से देश चलाने की परंपरा का सभी स्मरण करें। दुखी होकर उन्होंने यह भी कहा कि जब भी चुनाव होता है, मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। इस बार चुनाव ऐसे लड़ा गया, जैसे यह युद्ध हो। अनावश्यक रूप से आरएसएस जैसे संगठनों को इसमें शामिल किया गया। तकनीक का उपयोग करके झूठ फैलाया गया। सरासर झूठ।
डॉ. भागवत ने यह भी कहा जो मर्यादा का पालन करें, अहंकार नहीं करें, वही व्यक्ति सही मायने में सेवक कहलाने का हकदार है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद में दो पक्ष जरूरी है। देश चलाने के लिए सहमति जरूरी है। संसद में सहमति से निर्णय लेने के लिए बहुमत का प्रयास किया जाता है। लेकिन हर स्थिति में दोनों पक्षों को मर्यादा का ध्यान रखना होता है।
संघ प्रमुख डॉ. भागवत को जो कहना था, कह चुके। अब जिन्हें करना है, उन्हें ही कुछ सोचना है और ठोस प्रयास करने हैं, जिससे कि मणिपुर की आग ठंडी पड़े और वहाँ स्थायी रूप से शांति कायम हो सके। यदि डॉ. भागवत जी की बातों से सीख लेकर सही मायने में काम किया जायेगा तो ही उनकी बात के फायदे हैं।
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