बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले स्कूल संचालक पर राजोद पुलिस ने दर्ज किया प्रकरण
सरदारपुर। निजी स्कूल के संचालक पर राजोद पुलिस ने धोखाधड़ी की धारा में प्रकरण दर्ज कर लिया है। संचालक ने मान्यता समाप्त होने के बावजूद भी स्कूल का संचालन किया व बच्चों सहित उनके अभिभावकों को मान्यता नहीं होने संबंधी कोई जानकारी नहीं दी। ऐसे में शिक्षा विभाग की और से सौपे गए प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस ने संकुल केंद्र की प्राचार्य अनिता मेडा की रिपोर्ट पर संचालक गिरधारी लाल मदारिया के खिलाफ कार्यवाही शुरु कर दी हैं, आरोपी की गिरफ्तारी व प्रकरण की पूरी विवेचना एसपी मनोज कुमार सिंह के निर्देशन में शुरु की गई है।
यह था मामला -
दरअसल ग्राम राजोद में अर्चना विद्यापीठ नाम से निजी स्कूल है। 5 फरवरी से 10 वीं व 6 फरवरी से 12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं शुरु होनी थी, कक्षा 10वीं के पेपर वाले दिन तक विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रवेश पत्र नहीं दिया था। जिसके बाद बच्चों ने गांव के मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर दिया, करीब साढे चार घंटे की समझाइश के बाद परिजनों ने चक्का जाम को समाप्त किया। इसके बाद बच्चों व अभिभावकों का एक प्रतिनिधि मंडल धार में कलेक्टर से भी मिला था, शिक्षा विभाग ने मामले की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि स्कूल की मान्यता 2020 में ही खत्म हो गई थी।
फॉर्म ही नहीं भरे -
परीक्षा से वंचित रहने के बाद कलेक्टर ने जांच करने के निर्देश दिए थे तथा बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा की। जिसके बाद 12 वीं के बच्चे अगले दिन परीक्षा में शामिल हो गए थे। शिक्षा विभाग के अधिकारी जांच के लिए स्कूल भी पहुंचे थे, इस दौरान यह बात सामने आई कि माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड की परीक्षा को लेकर जुलाई व अगस्त माह में फॉर्म भरे जाते है। किंतु संचालक ने मान्यता नहीं होने के कारण फार्म नहीं भरे व बच्चों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी। गत वर्ष भी इसी प्रकार की स्थिति बन रही थी, किंतु स्कूल संचालक कोर्ट से परीक्षा को लेकर अनुमति लेकर आया व अपना स्कूल का काम चला लिया था।
परीक्षा से रखा वंचित-
राजोद थाना प्रभारी हीरु सिंह रावत ने बताया कि शिक्षा विभाग की और से प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। जिसमें 1 अप्रैल 2022 से 5 फरवरी 2024 तक स्कूल की मान्यता समाप्त होने के बावजूद स्कूल का संचालन किया गया। साथ ही मान्यता नहीं होने के बारे में बच्चों को जानकारी नहीं दी गई। छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधडी करते हुए उन्हें परीक्षा से वंचित रखा गया था, इसी कारण वैधानिक कार्यवाही शुरु की गई है।
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