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अपनत्व, समर्पण और सेवा श्रद्धालय के संस्कार है - महामंडलेश्वर डॉ नरसिंह दास जी महाराज

अपनत्व, समर्पण और सेवा श्रद्धालय के संस्कार है - महामंडलेश्वर डॉ नरसिंह दास जी महाराज



धार।इच्छा शक्ति व पावन पारदर्शी कार्यभाव हो तो हर लक्ष्य पाया जा सकता है। वृद्धाश्रम का कायाकल्प सराहनीय है। दो वर्ष के अल्प कार्यकाल में कई नवाचार से यहां की दशा बदली है। वृद्धाश्रम ही नहीं वृद्धजनों में भी सकारात्मक बदलाव आए है। अपनत्व, समर्पण तथा सेवा हमारे संस्कार है।श्रद्धालय वृद्धाश्रम में ऐसे संस्कारों का बाहुल्य है। समाज में वैसे तो वृद्धाश्रम होना ही नहीं चाहिए और हो भी तो फिर श्रद्धालय जैसे हो। नई पीढ़ी में वृद्धजनों की सेवा बनी रहे इसलिए बच्चों को यहां जोड़ना चाहिए। यह उदगार महामंडलेश्वर डॉ नरसिंह दास जी महाराज ने श्रद्धालय वृद्धाश्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।  विशेष अतिथि के रूप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री उमेश सोनी ने कहा कि मैं यहां कई बार आया हूं और हर बार यहां के बदलाव बड़े सुखद लगे हैं। हम हर संभव सहयोग के लिए साथ है। जनसहयोग से लगातार अच्छे कार्यों के लिए  संचालन संस्था साधुवाद की पात्र है। अध्यक्षता करते हुए जिला एवं महिला बाल विकास अधिकारी श्री सुभाष जी ने कहा कि वृद्धाश्रम का वातावरण स्वरूप पहले से काफी बेहतर हो गया है संचालन संस्थान जिस तरह सामाजिक  सहयोग  को बढ़ाकर सहभागिता बढ़ाई है वह अनुकरणीय है। आयोजन में गौसेवा प्रभारी देवेंद्र आचार्य  जी ने भी विचार प्रकट किए।

सेवा सम्मान - वृद्धजन सेवा मित्र सम्मान से दीपक जैन, श्यामराव लहरे, सुभाष जैन, विधिक सेवा अधिकारी कौशल जी, रमेश चन्द्र जी, डॉ रेखा सिंघल को सम्मानित किया गया। 
विशेष आकर्षण- समस्त वृद्धजन के लिए नए मैडिकल बैड व आरामदायक गद्दे जनसहयोग से उपलब्ध करवाए है। अतिथिओं ने महिला व पुरुष वृद्धजन आवास का अवलोकन किया। संचालन संस्था सचिव डॉ दीपेंद्र शर्मा ने किया। अतिथिओं का स्वागत नवीन भवर, प्रभाकर खामकर, दुर्गेश नागर, जी कोर, रामकिशोर पांडेय, भरत पंवार आदि ने किया।  आभार सत्कार अधिकारी जयंत जोशी ने व्यक्त किया। बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। सहभोज से समापन हुआ। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राकी मक्कड़ ने दी।

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