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हमारे व्यवहार में राष्ट्र के लिए अधिकार नही अपितु कर्तव्य का भाव होना चाहिए – जितेंद्र पवार

हमारे व्यवहार में राष्ट्र के लिए अधिकार नही अपितु कर्तव्य का भाव होना चाहिए – जितेंद्र पवार


संघ के शताब्दी वर्ष में नगर का प्रकटोत्सव कार्यक्रम संपन्न ।
✍️ - ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
धार । शहर का किला मैदान अनुशासन और एकता का एक बार फिर से साक्षी बना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर प्रकटोत्सव का करीब दो माह से लगातार अलग-अलग 14 व्यवसायिक , 8 बाल तथा 2 महाविद्यालीन विद्यार्थी शाखाओं में तैयारी कर रहे सैकड़ों स्वयंसेवकों ने संघ की शाखाओं में होने वाले शारीरिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया । कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम आरएसएस के संस्थापक परम पूज्यनीय डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार के सम्मुख अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक श्री बाबूलाल हामड़, कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज सेवी स्वयं प्रकाश सोनी ने की। मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के शारीरिक प्रमुख श्री जितेंद्र पवार उपस्थित थे।
मुख्य वक्ता श्री पवार ने कहा की संघ एक आदर्श व्यक्ति निर्माण करने वाली संस्था है। किसी को संघ को समझना है तो संघ में आना पड़ेगा। प्रकटोत्सव कार्यक्रम के माध्यम से समाज संघ को थोड़ा सा समझने का प्रयास कर सकता है। उन्होंने कहा की 1925 में डॉक्टर केशव बलिदान हेडगेवार जी ने जो संघ रूपी बीज बोया था आज वह संघ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है । जिस प्रकार से अगरबत्ती जलकर पूरे वातावरण को सुगंधित कर अपना अस्तित्व समाप्त कर पूरे वातावरण में घुल जाती है उसी प्रकार राष्ट्र को परम वैभव प्राप्त होते ही संघ भी पूरी तरह अपने आप को समाज में ही विलय कर लेगा । संघ की स्थापना को आज 99 वर्ष होने जा रहे हैं। स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों से आज समाज में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। साथ ही संबोधित करते हुए कहा की भारतीय संस्कृति की परंपराओं को जीवन मूल्यों को हमको अपने जीवन में लाने की आवश्यकता है । हम सबको अपने जीवन में कुछ बातों का विचार करना पड़ेगा । हमारे परिवार में जो विखंडन की स्थिति है तो हमारा परिवार संयुक्त परिवार बने इसके लिए सप्ताह में एक दिन हमारे परिवार के सब परिवार जनों को 1 घंटे के लिए या महीने में 1 दिन आपस में बैठकर भोजन ,भजन और संकीर्तन करने की आवश्यकता है । जिस से निश्चित परिवार में आ रही दूरियां खत्म होगी । साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारियां तय करना होगी । प्लास्टिक का उपयोग बंद करके कपड़े की थैलियों का इस्तेमाल करना , पानी बचाने के लिए वाटर रिचार्ज सिस्टम लगाना । साथ ही सामाजिक समरसता , नागरिक कर्तव्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी के प्रति भी विचार करने के आवश्यकता है ।

कार्यक्रम की बढ़ती श्रृंखला में -

सर्वप्रथम ध्वजारोहण हुआ।उसके पश्चात प्रत्युत प्रचलनम, ध्वज प्रदिक्षणा , गण समता, विशेष दंड प्रयोग, नियुद्ध, सामूहिक समता, मनोरा, विशेष योगासन एवं घोष वादन से संपन्न हुआ। जिसके बाद सामूहिक योग का प्रदर्शन सभी स्वयंसेवकों द्वारा किया गया। तत्पश्चात शिक्षक की आज्ञा पर कदम से कदम मिलाकर विभिन्न आकृतियों का प्रदर्शन किया गया। एक शिक्षक की आज्ञा पर कदमताल करते हुए एक साथ आना आकर्षण का केंद्र रहा। पांचवे गण द्वारा नियुद्ध का प्रदर्शन किया गया। नियुद्ध देसीकला है। इसमें एक निहत्था व्यक्ति भी आक्रमणकारी को आसानी से धराशायी कर सकता है-
समाज की सुरक्षा के लिए शाखा में स्वयंसेवकों को इसका अभ्यास कराया जाता है। इस कला से स्वयंसेवक समाज की रक्षा कर सकता है। वही दंड का प्रदर्शन स्वयंसेवकों द्वारा किया गया। सामान्य दंड द्वारा स्वयंसेवकों ने चारों दिशा में प्रहार लगाते हुए किस प्रकार भीड़ का सामना करना एवं कैसे अपनी व समाज की सुरक्षा की जाती है उसका प्रदर्शन किया और अंत में दंडधारी स्वयंसेवकों ने भूमि वंदन कर अपना प्रदर्शन समाप्त किया।


दंड प्रहार आदि का प्रदर्शन -
नगर प्रकटोत्सव में नियुद्ध कला से लेकर दंड प्रहार आदि का प्रदर्शन किया। समाज जब इस तरह के आयोजन देखता है तो निश्चित रूप से वह गौरवान्वित होता है। इस आयोजन में शहर के प्रमुख लोग शामिल हुए। सबसे अहम बात यह थी कि स्वयंसेवकों ने जिन 14 शाखाओं में प्रशिक्षण में पसीना बहाया था, उसी तैयारी से किला मैदान के प्रकटोत्सव में साकार करके दिखाया।


अलग-अलग आकृतियों का निर्माण -
घोष दल द्वारा घोष के शिक्षक के संकेत पर अलग
अलग धुनों का वादन किया। वाह्य बजाते हुए अलग-अलग आकृतियों का निर्माण किया।
इस वादन ने आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रदर्शन के पश्चात सामूहिक प्रदर्शन प्रारंभ हुआ। इसमें सैकड़ों स्वयंसेवकों द्वारा सामूहिक व्यायाम योग एवं आसन का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन श्लोकों के साथ किया गया। अंतिम प्रदर्शन सामूहिक गीत का हुआ। कार्यक्रम देखने आया समाज कार्यक्रम देख कर बहुत ही उत्साही नजर आया।

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